कम उम्र में बन गए देश के बड़े डॉक्टर ,बेहद खास है अथर कमाल का डॉक्टर बनने का सफर

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 अलीगढ (आतिफ उर रहमान ): बचपन में पढ़ाई के दौरान हर बच्चे का सपना डॉक्टर या इंजीनियर बनने का होता है लेकिन इसमें सफल वही होता है जो कड़ी मेहनत और लगन से आगे बढ़ता है हलाकि किसी भी पेशे में महारत के लिए खुद में लगन ज़रूरी है आज शब्द डिजिटल मीडिया की खास रिपोर्ट में अलीगढ के जाने माने  कार्डियोलॉजिस्ट डॉ अथर कमल की जो बच्चे आजकल के आजकल डॉक्टर बनना  चाहते है उनके लिए प्रेणना है डॉ अथर कमल 



कहते हैं दिल की बीमारी का इलाज किसी के पास नहीं है अगर किसी को दिल की बीमारी हो जाए तो वह दिमागी तौर पर भी परेशान हो जाता है.लेकिन ऐसा नहीं है दिल की बीमारी का इलाज कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर के पास जरूर होता है.हृदय रोग यानी कि दिल की बीमारी इसमें अधिकतर कार्डियक अरेस्ट की संभावना बढ़ जाती हैं. जिसमें जान का खतरा रहता है. ऐसे में सही समय पर उपचार न होना खतरनाक साबित हो सकता है हृदय मानव का एक अहम अंग है अतः इसका ख्याल रखना चाहिए.इसी कड़ी में आज हम बात करेंगे कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर के बारे में. देश के नाम चिन कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर की लिस्ट में अलीगढ़ के अथर कमाल का भी नाम आता है. जो एक बेहद साधारण परिवार से आते हैं. और महेज़ 38 साल की उम्र में उन्होंने हार्ट डिजीज ट्रीटमेंट में महारत हासिल की है.





 दरअसल आपको बताते चलें कि डॉ अथर् कमाल का नाम उन कम उम्र वाले डॉक्टर की लिस्ट में शामिल है जिन्होंने अपनी काबिलियत और मेहनत के बदौलत कम उम्र में ही अपनी कामयाबी की इबारत लिख डाली है. शब्द डिजिटल मीडिया से बातचीत में डॉ अथर कमाल ने बताया कि मैं एक हार्ट स्पेशलिस्ट हूं. मैंने डीएम कार्डियोलॉजी डॉ आर एम हॉस्पिटल नई दिल्ली से की है. ओरिजनली मैं दरभंगा बिहार का रहने वाला हूं मेरे पापा रांची में काम करते थे सीसीएल में सेंट्रल कोलफील्ड लिमिटेड में. 

वहां वह एक मामूली नौकरी किया करते थे. वह एक इंजीनियर थे. मैं इस साधारण परिवार से हूं. वहां से ही मेरी 10 तक की पढ़ाई हुई. उसके बाद मेने एएमयू में इंटरेस् दिया 11th का उसके बाद यहां सिलेक्शन हुआ मैंने 11और 12वीं एएमयू से किया.उसके बाद मैंने एमबीबीएस एंटरेंस दिया ऑल इंडिया का दिया और एएमयू का भी दिया. तो मेरा इसमें सिलेक्शन हो गया. पहले अटेम्प्ट में ही मेरा सिलेक्शन हो गया तो मैंने एमबीबीएस अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से ही किया. 



उसके बाद एमडी मेडिसिन भी मैंने एएमयू से ही किया. एमडी मेडिसिन के बाद मेरा रुझान था कि मैंने बहुत सारे सिक पेशेंट देखे थे हार्ट के जिनको ट्रीटमेंट का प्रॉपर अटेंशन नहीं मिल पाता था. तब से ही मैं सोच लिया था कि मुझे हार्ड के लिए ही आगे काम करना है. मैं हार्ट के पेशेंट का सही तरीके से इलाज कर सकूं और उनको पर्याप्त अटेंशन दे सकूं इसीलिए मैंने हार्ड स्पेशलिस्ट बनने का निर्णय लिया. इसके बाद मैंने काफी मेहनत की और एक साल बाद डीएम  कार्डियोलॉजी में मेरा ऑल इंडिया में नंबर वन रैंक आया. इसके बाद मैंने डॉक्टर राम मनोहर लोहिया दिल्ली से अपनी डीएम कार्डियोलॉजी कंप्लीट की.


लंदन से हासिल की डिग्री


दो अथर कमाल आगे बताते हैं कि मैंने लंदन से पीजीडीएम डिग्री हासिल की. इसके बाद मुझे बहुत अच्छा एक्स्पोज़र भी मिला. लेकिन मेरे दिल में शुरू से था कि मुझे इंडिया में अपने लोगों की ही सेवा करनी है तो मैं स्वदेश वापस लौट आया.इसके बाद मैंने उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले में कमाल हार्ट सेंटर बनाया. और पिछले 5 साल से मैं लोगों की सेवा कर रहा हूं.एमबीबीएस मेरा 2007 में कंप्लीट हो गया था. और एमडी मेरा 2013 में कंप्लीट हुआ था. और इसके बाद डीएम मेरा 2015 से 2018 के बीच में कंप्लीट हुआ था. इसी बीच में मैंने पीजीडीटीएम भी कर लिया था. 2018 से में अलीगढ़ में हूं और यहां कमल हार्ट सेंटर और वरुण क्रोमा सेंटर दोनों में काम कर लोगों की सेवा कर रहा हूं.


अब तक 2000 से ज्यादा लोगों की जान बचा चुके हैं.


मुझे हार्ट स्पेशलिस्ट बना था और खासकर वह प्रोसीजर करना है जो लोगों की जान बचाए. तो हार्ट अटैक के वक्त जो एंजियोग्राफी, एंजियोप्लास्टिक होती है  जिसे प्राइमरी पीसीआई कहते हैं. जिसे बहुत कम लोग कर पाते हैं. मैं उसी में सबसे स्पेशलिस्ट हूं. और अलीगढ़ में भी सबसे पहले मैं नहीं इस चीज की शुरुआत की. और इसी प्राइमरी पीसीआई से लगभग 2000 से ज्यादा लोगों की जान मैं बचाई है. परिवार में मां-बाप के अलावा चार भाई और तीन बहन है जिनमें से मैं तीसरे नंबर का सदस्य हूं.

 मेरे जीवन में कई क्रिटिकल कैस भी आए जिसमें से एक यही अलीगढ़ के घनश्यामपुरी का था. जब वह पेशेंट मेरे पास आए तो तीन दिन के हार्ट अटैक के साथ आए थे. जिनका बीपी उसे समय सिर्फ 70 था. और वह लगभग मर चुके थे. तब मैंने उसे पेशेंट की एंजियोग्राफी की एंजियोप्लास्टिक की  और सिर्फ 4 मिनट 50 सेकंड में उसको स्टैंड प्लेस किया. इसके बाद तीन दिन बाद ही उसे पेशेंट को डिस्चार्ज कर दिया गया. तो इस तरह का जीवन में कई उतार-चढ़ाव मैंने देखे हैं. भविष्य में मेरी यही कामना है कि इसी प्रकार में लोगों की सेवा करता रहूं और इसी हार्ड के फील्ड में आगे बढ़ता रहा हूं.

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