इस मौके पर अलीगढ़ शहर मुफ्ती खालिद हमीद ने कहा कि कर्बला सिर्फ एक तारीखी वाक़या नहीं, बल्कि इंसानियत, सच्चाई और न्याय के लिए डट जाने की अमर कहानी है। "इमाम हुसैन ने ज़ुल्म और तानाशाही के खिलाफ खड़े होकर यह दिखा दिया कि कर्बानियां देकर भी हक़ की राह नहीं छोड़ी जाती,"
शहर मुफ्ती मौलाना खालिद हमीद ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि आशूरा हमें आत्मनिरीक्षण और आपसी मोहब्बत का संदेश देता है। "सुन्नी-शिया के बीच जो इत्तेहाद अलीगढ़ में देखने को मिलता है, वो पूरे मुल्क के लिए मिसाल है।" उन्होंने कहा कि कल 10 मोहर्रम को निकाले जाने वाले जुलूस में भी ऐसी ही मिसाल पेश करें
इस मौके पर ओल्ड बॉयज़ एसोसिएशन अलीगढ़ के जनरल सेक्रेटरी डॉक्टर आज़म मीर खान शिया आलिम ए - दीन मौलाना अशरफ़ गर्वी, मौलाना शबाब हैदर वरिष्ठ समाजसेवी मुख़्तार जैदी, पार्षद शाह जमाल मुशर्रफ़ हुसैन महज़र, नादिर अली नक़वी ने भी कर्बला के ऐतिहासिक और आध्यात्मिक पहलुओं पर विस्तार से रोशनी डाली। वक्ताओं ने इस बात पर ज़ोर दिया कि इमाम हुसैन की कुर्बानी किसी एक फिरके के लिए नहीं, बल्कि पूरी इंसानियत के लिए थी।
संवादाताओं को संबोधित करते हुए ए एम यू ओल्ड बॉयज़ एसोसिएशन के उपाध्यक्ष एवं करबला शाह जमाल के जनरल सेक्रेटरी मुख़्तार ज़ैदी ने कहा कि मौजूदा दौर में जबकि समाज में नफ़रत और बंटवारे की कोशिशें हो रही हैं, कर्बला का पैग़ाम और भी ज़्यादा अहम हो गया है। इमाम हुसैन का रास्ता अमन, इंसाफ़ और भाईचारे का रास्ता है, और यही रास्ता मुल्क की कामयाबी की ज़मानत है।
डॉक्टर आज़म मीर खान ने कहा कि एएमयू ओल्ड बॉयज़ एसोसिएशन अलीगढ़ की यह कोशिश न सिर्फ़ एक धार्मिक आयोजन है , बल्कि सामाजिक एकता का प्रतीक भी बन गई है, जहां हर फिरके, तबके और मज़हब के लोग एक साथ मिलकर इंसानियत की मिसाल कायम करते हैं।