AMU: वीमेंस कॉलेज में मुजफ्फर अली के साथ उनके संस्मरण पर पैनल चर्चा का आयोजन

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अलीगढ़ (शब्द डेस्क ):अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के डिबेटिंग एंड लिटरेरी क्लब द्वारा प्रसिद्ध फिल्म निर्माता निर्देशक तथा कलाकार और एएमयू के पूर्व छात्र मुजफ्फर अली के साथ उनके संस्मरण ज़िक्रः समय की रोशनी और छाया में (पेंगुइन, 2022), पर विमेंस कॉलेज सभागार में एक पैनल चर्चा का आयोजन किया गया जिसमें छात्रोंशिक्षकों और कला और साहित्य प्रेमियों ने भरपूर रूचि के साथ भाग लिया।

चर्चाकर्ता अंग्रेजी विभाग के अध्यक्षप्रोफेसर मोहम्मद आसिम सिद्दीकीजिनकी संस्मरण की समीक्षा पहले ही प्रकाशित हो चुकी हैऔर कला और संस्कृति क्यूरेटर और जामिया मिलिया इस्लामिया में विजिटिंग फैकल्टी सुश्री अंबरीन खान ने मुजफ्फर अली से कई प्रासंगिक प्रश्न पूछेजिनके उत्तर देते हुए श्री अली ने बातचीत को उपयुक्त दोहों और वक्तव्यों से संदर्भित किया। उन्होंने एक अनुभवी कवि की तरह सहजता से अपनी कुछ रचनाओं से दोहे सुनाए।

गमन (1978), उमराव जान (1981), आगमन (1982), अंजुमन (1986) आदि फिल्मों के निर्माता ने अपने संस्मरण और अपने कलात्मक प्रयासों के विभिन्न रंगों पर चर्चा की।

इस सवाल पर कि उन्होंने किस तरह प्रेरणा महसूस की और पेंटिंग सीखी और किस प्रकार कविता में रुचि ली,मुजफ्फर अली ने कहा कि कविता और पेंटिंग का गहरा रिश्ता है। उन्होंने कहा कि जब तक कोई सभ्यता अन्य सभ्यताओं का सम्मान नहीं करतीसभ्यताएँ न तो विकसित हो सकती हैं और न ही जीवित रह सकती हैं।

एक अन्य प्रश्न के जवाब में उन्होंने कहा कि अस्तित्व का अर्थ सह-अस्तित्व है।

मुजफ्फर अली ने बड़ी संख्या में उपाख्यानों के माध्यम से अपनी फिल्म निर्माण शैलीसिद्धांतों और दृष्टिकोणों के बारे में गहन अंतर्दृष्टि से दर्शकों को अपने आर्ट द्वारा अपेक्षित कलात्मक अभिव्यक्ति की गहराई से अवगत कराया।

पैनल चर्चा के बादप्रोफेसर एम. शाफ़े किदवई (जनसंचार विभागएएमयू) ने अपना संबोधन गायत्री चक्रवर्ती स्पिवक के उद्धरण के साथ शुरू किया कि आत्मकथा एक घाव है जहां इतिहास का खून नहीं सूखता है। उनके शब्दों से दर्शकों को मुजफ्फर अली की आत्मकथा के बारे में अच्छी जानकारी प्राप्त करने में मदद मिली।

इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथिएएमयू के कुलपति,प्रोफेसर मोहम्मद गुलरेज़ और मानद अतिथि प्रोफेसर नईमा खातून भी मौजूद रहीं।

प्रोफेसर गुलरेज़ ने अपने संबोधन में आत्मकथाओं के महत्व पर प्रकाश डाला और कहा कि आत्मकथाएँ लेखक के जीवन के अनुभवों और उपलब्धियों को चित्रित करती हैं जो युवा पीढ़ी को प्रभावित करती हैं और कई बार उनका मार्गदर्शन भी करती हैं।

अपने उद्घाटन भाषण मेंयूनिवर्सिटी डिबेटिंग एंड लिटरेरी क्लब की अध्यक्ष डॉ. सदफ फरीद ने मेहमानों का स्वागत किया।

प्रोफेसर एफ.एस. शेरानीसमन्वयकसांस्कृतिक शिक्षा केंद्रप्रोफेसर विभा शर्माप्रोफेसर हुमा और प्रोफेसर नाज़िया हसन ने मेहमानों को गुलदस्ते भेंट किए।

इस अवसर पर उपस्थित लोगों ने लेखक से हस्ताक्षरित संस्मरण प्राप्त किया।

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