अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के अल्पसंख्यक दर्जे को लेकर फैसला सुरक्षित, सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की बेंच कर रही सुनवाई

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 नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट की सात जजों की बेंच ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के अल्पसंख्यक दर्जे पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। जल्दी ही इस मामले पर कोर्ट अपना फैसला सुनाएगी। कई दिनों की तीखी बहस के बाद कोर्ट ने  आज यानी गुरुवार को अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) के अल्पसंख्यक दर्जे पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। जानकारी दे दें कि चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 7 जजों की बेंच ने 8 दिनों तक प्रतिद्वंद्वी पक्षों की दलीलें सुनीं


क्या है मामला?

ठीक ऐसा ही एक मामला 1981 में भी दिया गया था। साल 1967 में एस अजीज बाशा बनाम भारत संघ मामले में 5 जजों की बेंच ने कहा था कि चूंकि एएमयू एक सेंट्रल यूनिवर्सिटी है, इसलिए इसे अल्पसंख्यक संस्थान नहीं माना जा सकता है। हालाँकि, जब संसद ने 1981 में एएमयू (संशोधन) अधिनियम पारित किया तो इस संस्थान को अपना अल्पसंख्यक दर्जा वापस मिल गया। इसके बाद जनवरी 2006 में, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 1981 के कानून के उस प्रावधान को रद्द कर दिया जिसके द्वारा यूनिवर्सिटी को अल्पसंख्यक दर्जा दिया गया था। केंद्र में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ अपील दायर की। इसके अलावा यूनिवर्सिटी ने भी इसके खिलाफ अलग से पीआईएल भी दायर की।

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