अलीगढ (आतिफ उर रहमान ): चुनाव के नतीजे के बाद अब विधान सभाओं के चुनाव में समाजवादी ने कोल सीट से लगभग 30000 की बढ़त से बीजेपी को हराया है। कोल विधान सभा के पूर्व प्रत्याशी और लोकसभा में इस सीट के प्रभारी अज्जू इशाक ने कहा है 2022 का हिसाब किताब जनता ने वापस दे दिया है 2027 में ये सीट 60000 से जीत दर्ज कराएगी वही सीट का हारना कोल विधायक अनिल पाराशर की टेंशन बड़ा दी है। 2022 में अज्जू समाजवादी से और अनिल पाराशर बीजेपी से लड़े थे आपकी और समाजवादी पार्टी के लिए कुछ ही अंतर से सीट 104000 वोट पाकर 3000 हजार के लगभाग वोट से हार थी
अलीगढ की कोल सीट पर 2024 लोकसभा में समाजवादी पार्टी (सपा) की बढ़त से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को बड़ी मुश्किलें हो सकती हैं। इस क्षेत्र में सपा नेता अज्जू इस्हाक़ पहले भी दो बार चुनाव लड़ चुके हैं, और उनकी लोकप्रियता से बीजेपी के लिए 2027 में चुनौती और बढ़ सकती है। कोल सीट पर सपा की बढ़त बीजेपी के लिए चिंता का विषय बन सकती है क्योंकि यह सीट राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है और इसके परिणाम राज्य की राजनीति पर बड़ा प्रभाव डाल सकते हैं।
कोल विधानसभा क्षेत्र के प्रभारी रहे अज्जू इस्हाक़ की मेहनत आखिरकार रंग लाई।2024 लोकसभा में उनकी सक्रियता और जनसंपर्क अभियानों ने सपा को इस क्षेत्र में जबरदस्त समर्थन दिलाया है। कोल में सपा को मिले इस व्यापक समर्थन से यह स्पष्ट हो गया है कि अज्जू इस्हाक़ की रणनीति और मेहनत ने लोगों का दिल जीता है। इस समर्थन से सपा की स्थिति मजबूत हुई है और बीजेपी के लिए 2027 के विधान सभा चुनावों में चुनौती और कठिन हो सकती है।
सपा ने अज्जू इस्हाक़ को कोल का प्रभारी बनाने के पीछे कुछ महत्वपूर्ण वजहें थीं:
1. **स्थानीय लोकप्रियता**: अज्जू इस्हाक़ कोल क्षेत्र में लोकप्रिय नेता माने जाते हैं। उनकी जमीनी पकड़ और जनसंपर्क की क्षमता को देखते हुए पार्टी ने उन्हें इस क्षेत्र का प्रभारी बनाया था
2. **सक्रियता और मेहनत**: अज्जू इस्हाक़ ने पहले भी चुनाव लड़कर पार्टी के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उनकी मेहनत और सक्रियता ने उन्हें एक भरोसेमंद नेता के रूप में स्थापित किया है।
3. समाज के विभिन्न वर्गों में समर्थन: अज्जू इस्हाक़ ने विभिन्न समुदायों और वर्गों के बीच अच्छा समर्थन हासिल किया है। उनकी छवि एक समावेशी नेता की है, जो सभी वर्गों की समस्याओं को समझते और सुलझाते हैं।
4. रणनीतिक सोच: चुनावी रणनीति बनाने और उसे लागू करने में अज्जू इस्हाक़ की कुशलता को ध्यान में रखते हुए सपा ने उन्हें कोल का प्रभारी बनाया। उनकी रणनीतिक सोच और चुनावी अनुभव ने पार्टी को मजबूती प्रदान की।
अज्जू इस्हाक़ का हिंदू क्षेत्रों में खासा प्रभाव है, जो उनकी लोकप्रियता और समावेशी राजनीति का प्रमाण है। उनके प्रयासों से सपा को गाँवों में भी व्यापक समर्थन मिला है।
हिंदू क्षेत्रों में प्रभाव के कारण
समावेशी नेतृत्व:अज्जू इस्हाक़ ने सभी समुदायों के बीच समन्वय और सामंजस्य स्थापित करने की दिशा में काम किया है। उन्होंने हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों के मुद्दों को समझा और उन पर ध्यान दिया।
सामाजिक कार्य-स्थानीय विकास और सामाजिक कार्यों में उनकी भागीदारी ने हिंदू समुदायों में उनका समर्थन बढ़ाया है। उनकी उपस्थिति और काम ने जनता का विश्वास जीता है।
गाँवों में सपा को समर्थन के कारण
जमीनी पकड़ -अज्जू इस्हाक़ ने गांवों में निरंतर जनसंपर्क बनाए रखा और ग्रामीणों के मुद्दों पर ध्यान दिया। उनकी जमीनी पकड़ ने ग्रामीण इलाकों में सपा को समर्थन दिलाया।


