अलीगढ (शब्द मीडिया डेस्क ): ऊर्जा भंडार न्यूट्रिनो के रहस्य को समझने वाला भारत का एक मात्र प्रोजेक्ट बंद हो गया है. भारत सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ एटामिक एनर्जी ने इसको हाल ही में बंद करा दिया है. इससे एएमयू के फिजिक्स डिपार्टमेंट को बड़ा झटका लगा है, जो कई वर्ष से इस पर काम कर रहा है.
जानकारी देते हुए अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के फिजिक्स डिपार्टमेंट के प्रोफेसर व प्रोजेक्ट को लीड करने वाले सज्जाद अतहर ने बताया कि वर्ष 2000 में इस प्रोजेक्ट की शुरुआत हुई थी. 2001 में सबसे पहले कर्नाटक में इसके लिए लैब बनाई जानी थी, लेकिन यह स्थान बदल दिया गया.इसके बाद तमिलनाडु के थेनी में इसकी लैब बनाया जाना प्रस्तावित हुआ था. वर्ष 2002 में भारत सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ एटामिक एनर्जी ने इसकी शुरुआत कराई.
प्रोफेसर सज्जाद अतहर ने बताया कि इसके बाद इस पर काम होता रहा. वर्ष 2015 से 2016 के बीच लैब की स्थापना का प्रोजेक्ट आगे बढ़ा और वर्ष 2024 में बंद हो गया. भारत में ये प्रोजेक्ट भले ही बंद हो गया, लेकिन चीन, जापान, अमेरिका, यूरोप, कनाडा और कोरिया इस पर काम कर रहे हैं. चीन में वर्ष 2009 से 2012 के बीच डाया बे नाम का प्रोजेक्ट पूरा किया है. इसमें न्यूट्रिनो के रूप बदलने पर काम हुआ है.
प्रोफेसर सज्जाद अतहर ने कहा कि तमिलनाडु के थेनी जिले में इसके लिए एक लैब बनाई जानी थी. इसे न्यूट्रिनो वेधशाला नाम दिया गया था. यह जगह वैज्ञानिक दृष्टिकोण से आईएनओ (अक्षांश और देशांतर) के अनुरूप है.यहां एक पहाड़ है, जिसकी ऊंचाई लगभग 1,200 मीटर (लगभग 3,900 फीट) है.इसकी गहरी गुफा में वायुमंडलीय न्यूट्रिनो का अध्ययन किया जाना था. इसके लिए एक किमी लंबी टनल बनाया जाना प्रस्तावित है. लेकिन किसी कारणवश भारत सरकार ने इस प्रोजेक्ट को बंद कर दिया. मेरा मानना है कि अगर यह प्रोजेक्ट चलता और अपनी मंजिल तक पहुंचता तो इससे बहुत सारी उपलब्धियां हासिल होती.