अलीगढ़/ शब्द डिजिटल
मशहूर शायर मुनव्वर राना की पहली पुण्यतिथि के अवसर पर उन्हें याद करते हुए अलीगढ़ शहर के दूधपुर में कंट्री क्राफ्ट के दफ्तर में एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम साहित्यिक और सामाजिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण था, जहां शहर के कई प्रमुख हस्तियां और साहित्य प्रेमी उपस्थित रहे।
इस अवसर पर मुनव्वर राना की बेटी सुमय्या राना को शहर के प्रमुख समाजसेवी और सीनियर डिजिटल पत्रकार आतिफ उर रहमान ने सुमैया राना को सर सैयद अहमद खान का स्मृतिचिह्न देकर सम्मानित किया। इस अवसर पर आतिफ उर रहमान ने अपने संबोधन में कहा, "मुनव्वर राना न केवल उर्दू अदब के बड़े शायर थे, बल्कि उन्होंने अपनी शायरी के माध्यम से समाज को नई दिशा दी। उनकी बेटी सुमय्या राना उनके इस विरासत को आगे बढ़ा रही हैं, जो सराहनीय है।"
मुनव्वर राना की खिदमात पर चर्चा
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि सुमैया राना ने अपने स्वर्गीय पिता मुनव्वर राना की साहित्यिक और सामाजिक सेवाओं पर विस्तार से चर्चा की। समाजवादी पार्टी के सीनियर लीडर अज़्ज़ू इस्हाक़ ने कहा, "मुनव्वर राना ने अपनी शायरी से इंसानियत, मोहब्बत और समाज में एकता का पैगाम दिया। उनकी ग़ज़लें और नज़्में हमेशा लोगों को प्रेरित करती रहेंगी।"
शहर के प्रसिद्ध ईमानदार बिल्डर इंजीनियर तय्यब खान ने अपने बयान में कहा, "मुनव्वर राना की शायरी में जो सादगी और गहराई है, वह किसी जादू से कम नहीं। उनकी शायरी में मां, इंसानियत और समाज का दर्द इतनी खूबसूरती से झलकता है कि सुनने वाला भावविभोर हो जाता है।"
इस मौके पर शोबी खान ने कहा, "मुनव्वर राना सिर्फ एक शायर नहीं, बल्कि एक विचारधारा थे। उनकी कविताएं हमें समाज की बुराइयों को पहचानने और उन्हें दूर करने की प्रेरणा देती हैं। उनकी शायरी आने वाली पीढ़ियों के लिए एक मशाल की तरह काम करेगी।"
कार्यक्रम के अंत में मुनव्वर राना की कुछ प्रसिद्ध नज़्में और ग़ज़लें प्रस्तुत की गईं। उपस्थित लोगों ने मोमबत्तियां जलाकर और दो मिनट का मौन रखकर उन्हें श्रद्धांजलि दी।
इस अवसर पर मुनव्वर राना के प्रशंसकों ने उनकी खिदमात को याद करते हुए कहा कि उनकी शायरी को सहेजना और अगली पीढ़ी तक पहुंचाना हमारा कर्तव्य है। यह कार्यक्रम एक ऐसा मंच बना, जहां उनकी यादें और उनके विचारों की महक हर शख्स के दिल में बसी हैं