प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्देश्य महिला बंदियों को सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक दृष्टिकोण से सशक्त बनाना था। इस तीन महीने के प्रशिक्षण में महिलाओं को सिलाई, कढ़ाई, बुनाई, आत्मनिर्भरता, और मानसिक स्वास्थ्य संबंधी तकनीकियों की शिक्षा दी गई।
जिला कारागार से श्री बृजेन्द्र सिंह यादव (वरिष्ठ जेल अधीक्षक) ,श्री कम्लेंद्र प्रताप सिंह (जेलर),समस्त स्टाफ और जेल प्रशासन का सहयोग रहा!
प्रोग्राम के समापन अवसर पर, प्रोफेसर विभा शर्मा, प्रोफेसर ए.आर. किदवई, प्रोफेसर आजरा मुसवी, प्रोफेसर फाइजा अब्बासी, अधिवक्ता नदीम अंजुम, आदिल जवाहिर, डॉ. तौसिफ , शीराज़ अहमदऔर अन्य गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे।
इस अवसर पर प्रोफेसर विभा शर्मा ने कहा, “इस प्रकार के प्रशिक्षण कार्यक्रम महिला बंदियों को न केवल उनके आत्मविश्वास को बढ़ाने का अवसर प्रदान करते हैं, बल्कि उन्हें समाज में एक नई पहचान भी देते हैं। यह कार्यक्रम उनके भविष्य के लिए महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।"
कार्यक्रम के दौरान उपस्थित शिक्षाविदों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस पहल की सराहना की और महिला बंदियों के पुनर्वास के लिए ऐसे और कार्यक्रमों की आवश्यकता पर बल दिया।
प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन करने वाली संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने बताया कि यह कार्यक्रम भविष्य में भी जारी रहेगा और महिलाओं को और अधिक कौशल सिखाने के लिए विभिन्न विषयों पर प्रशिक्षण सत्र आयोजित किए जाएंगे।
इस कार्यक्रम के समापन पर महिला बंदियों ने अपनी खुशियाँ साझा करते हुए कहा कि अब वे आत्मनिर्भर बनने की दिशा में अपने कदम बढ़ाने के लिए प्रेरित हैं। उन्हें इस कार्यक्रम के माध्यम से न केवल नए कौशल सीखे हैं, बल्कि अपने मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने की दिशा में भी मार्गदर्शन मिला है।
समारोह के अंत में, सभी सफल प्रशिक्षुओं को प्रमाण पत्र प्रदान किए गए, जो उनके द्वारा किए गए कार्य और हासिल किए गए कौशल की पहचान थे।