बुलंदशहर (शब्द डेस्क ): हज़रत बहाउद्दीन बदरुल हिन्द के उर्स का समापन
आस्तान ए गौसिया दरबार बन्नेर शरीफ में बहुत ही शान ओ शौकत से हुज़ूर गौस ए आज़म बड़े पीर साहब की ग्यारवी से शुरू हुए उर्स का आज समापन हो गया सज्जादानशी मौलाना हज़रत अब्दुल कादिर (मिस्टर अली ) ने बाद नमाज़ ए असर अपनी इल्मी अदबी तकरीर से लगाें के दिलों को रोशन किया और मुल्क़ और इंसानियत के लिए दुआ कराई..
एक सप्ताह चले उर्स बाबा बहाउद्दीन बदरुल हिन्द र. अ के आस्ताने पर आने बाले जायरीनों ( श्रद्धालुओं )को लंगर (भोजन )का लगातार अहतमाम किया गया है,उत्तर प्रदेश के जनपद बुलंदशहर में छतारी के पंडावल में बन्नेर शरीफ दरगाह है. यहाँ लोगो का मानना है की जो किसी पर भूत प्रेत या बुरी नजर का साया होता है तो यहां दर्शन करने के बाद उसकी बुरी आत्मा का साया दूर हो जाता है.दरगाह बन्नेर शरीफ में बाबा बहाउद्दीन बदरुल हिन्द रह की मजार है. जहां लोग दुआ करने के लिए देश के कोने-कोने सहित विदेशों से आते हैं, यह दरगाह देश के अलावा पूरी दुनिया में मशहूर है. जहां देश-विदेश से जियारत करने के लिए जायरीन आते हैं और दरगाह बन्नेर शरीफ में हर साल ग्यारहवीं शरीफ में उर्स होता है.
जहां लाखों लोगों का जन जनसैलाब उमड़ता हैं, जिनकी जो जायज तम्मनायें दुआएं होती हैं वह कबूल होती हैं,बाबा बहाउद्दीन बदरुल हिन्द टीपू सुल्तान के सिजरे से ताल्लुक रखते थे. बाबा बहाउद्दीन बदरुल हिन्द छतारी आए थे और फिर यही के हो गए. बाबा बहाउद्दीन बदरुल हिन्द ने मस्जिद का निर्माण कराया था. फिर बाद में इंतकाल होने के बाद बाबा बहाउद्दीन बदरुल हिन्द की मजार भी यही पर है जो आज दरगाह बन्नेर शरीफ के नाम से अपनी पहचान रखती है,दरगाह बन्नेर शरीफ पर तमाम हिन्दू मुस्लिम अपनी आस्था लेकर हर महीने की 11वीं शरीफ को और 26वीं को यहां आते है दुआ होती है ,साहिबे सज्जादा मौलाना अब्दुल कादिर कादरी (मिस्टर अली) ने बताया कि यह दरगाह सैकड़ों साल पुरानी है जबकि इसकी बेहद मान्यता है.इस दरगाह में लोग अपनी मन्नतें लेकर आते हैं और उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है. अगर किसी पर भूत प्रेत या बुरी नजर का साया होता है तो यहां आकर उससे छुटकारा मिलता है.देश-विदेश से भी यहां लोग अपनी मन्नत लेकर दुआ करने के लिए आते हैं और सभी की जायज दुआएं कुबूल होती हैं, उर्स 14अक्टूबर से शुरू हुआ था जिसका आज होकर 21अक्टूबर को समापन हो गया गया..