अलीगढ (शब्द मीडिया डेस्क ):अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) में एम्बुलेंस सेवा से जुड़ा विवाद अब एक गंभीर समस्या बन चुका है। यहां सिर्फ भ्रष्टाचार ही नहीं, बल्कि एम्बुलेंस चालकों के बीच खुद की वर्चस्व की लड़ाई भी जारी है। इस आपसी संघर्ष का खामियाजा उन मरीजों को भुगतना पड़ रहा है, जिन्हें समय पर इलाज की जरूरत होती है।
कैसे हो रही है वर्चस्व की लड़ाई?
AMU के मेडिकल कॉलेज और अस्पताल परिसर में कई निजी एम्बुलेंस संचालित होती हैं। ये एम्बुलेंस चालक अधिक मरीजों को लाने और ले जाने के लिए आपस में भिड़ते रहते हैं।
रास्ता रोकना: कुछ एम्बुलेंस चालक दूसरों को मरीज उठाने से रोकने के लिए जबरन रास्ता जाम कर देते हैं।
धमकी और झगड़े: कई बार एक-दूसरे को धमकाया जाता है और हाथापाई तक की नौबत आ जाती है।
फिक्सिंग और दलाली: कुछ एम्बुलेंस चालक अस्पताल के स्टाफ से मिलीभगत कर मरीजों को सिर्फ अपनी एम्बुलेंस में भेजने की कोशिश करते हैं, जिससे बाकी चालकों को नुकसान होता है।
पुलिस और प्रशासन क्यों चुप हैं?
यह लड़ाई किसी से छिपी नहीं है, लेकिन अलीगढ़ पुलिस और AMU प्रशासन इस पर कोई सख्त कदम नहीं उठा रहे। इसका कारण यह हो सकता है कि कुछ प्रभावशाली पदाधिकारी और स्थानीय पुलिसकर्मी इस गड़बड़झाले में हिस्सेदार हैं।
मरीजों को हो रही भारी परेशानी
समय पर एम्बुलेंस न मिलने के कारण कई मरीजों की हालत बिगड़ जाती है।
झगड़ों की वजह से अस्पताल परिसर में अफरा-तफरी और तनाव बना रहता है।
मरीजों के परिजनों को अधिक किराया देना पड़ता है क्योंकि कुछ एम्बुलेंस चालक मनमाने दाम वसूलते हैं।
क्या किया जाना चाहिए?
1. एम्बुलेंस सेवा के लिए एक सख्त नियमावली बनाई जाए ताकि सभी चालकों को बराबरी का मौका मिले।
2. अस्पताल के बाहर पुलिस तैनात की जाए ताकि झगड़े और गुंडागर्दी पर लगाम लग सके।
3. सरकारी ठेकेदारी व्यवस्था लागू की जाए ताकि अवैध दलाली और फिक्सिंग खत्म हो सके।
4. मरीजों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाए और जरूरतमंद लोगों को समय पर एम्बुलेंस सेवा मिले।
निष्कर्ष
AMU परिसर में चल रही यह वर्चस्व की लड़ाई केवल एक व्यवसायिक टकराव नहीं है, बल्कि यह मरीजों की जिंदगी से जुड़ा गंभीर मुद्दा बन चुका है। यदि प्रशासन और पुलिस ने समय पर कार्रवाई नहीं की, तो हालात और बिगड़ सकते हैं। सरकार को चाहिए कि वह इस मामले में दखल देकर पारदर्शी व्यवस्था लागू करे, ताकि भ्रष्टाचार और गुंडागर्दी पर रोक लगाई जा सके।